Saturday, April 16, 2011

मक्खी-मच्छर मारो अभियान


 (कविता-जनहित मा जारी)

जौन गढ्ढा मा जनम धरिसे ,
ओला सपाट बनालव
मक्खी-मच्छर ला मारव
 अउ तुम उनला दूर हकालव.

मच्छर के चाबे से होथे
डेंगू अउ फायलेरिया
ऊंकर पेट मा घलो पनपथे
चिकनगुनिया मलेरिया.
इंकर बचाव करना हे तुम्हला
मच्छरदानी लगालव
मक्खी-मच्छर ला मारव..........

मक्खी के स्पर्श से होथे
पेचिस,दस्त अउ पीलिया
ऊंकर पांव मा रहिथे बीमारी
हैजा अउ मोती-झिरिया
इंकर से बच के रहना हे तुम्हला
साफ-सफाई अपनालव
मक्खी-मच्छर ला मारव..........

खाये-पीये के चीज मा अपन
इनला झन बैठारव
खोमचा,ठेला ,खुली जगह के
चीज ला झन तुम खावव
इंकर बीमारी होगे जिनला
ओखर इलाज करावव
मक्खी-मच्छर ला मारव..........

मनखे के दुस्मन हे इमन
बहुत बीमारी के जड़ हे
जौन इंखर से करे दोस्ती
उनला तुम समझालव
मक्खी-मच्छर ला मारव
अउ तुम उनला दूर हकालव 
मक्खी-मच्छर ला मारव..........
(डाक्टर चैतन्य निगम के सहयोग ले  ये कविता के रचना होय हे)

    -श्रीमती सपना निगम ,
      आदित्य नगर,
      दुर्ग (छत्तीसगढ़)

Friday, April 1, 2011

"अप्रैल फूल के तिहार"

हमर देस मा तिहार मनाये के गजब सऊँक .सब्बो किसिम के तिहार ला हमन जुरमिल के मनाथन .तमाम जातपातधरम-सम्प्रदाय के तिहार मन ला एकजुट होके मनाये के कारन सांप्रदायिक सदभाव अउ एकता के नाम मा हमर दुनिया में अलगेच पहिचान हे .        तिहार मनाये बिना हमर बासी-भात तको हजम नई होवय.तिहार मनाये के सऊँक मा हमन प्रगतिसील होगेन .बिदेस के तिहारो ल       नई छोड़न .भूमंडलीकरन के जमाना मा नवा पीढ़ी हर "वेलेन्टाइन -तिहार" मनाये बर पगलागे."वेलेन्टाइन -तिहार" मया करइया जोड़ा के बिदेसी तिहार आय .एमा पुलिस संग रेस-टीप खेल के अपन मया ला जग-जाहिर करे के पवित्र भावना कूट कूट के भरे रहिथे.कभू कभू तो कुटकुट ले मार घला खाना पड़थे  तिही पाय के ये तिहार मा बरा,सोंहारी ,ठेठरी ,खुरमी बनाय - खाय के परम्परा नई रहय.रद्दा साफ मिलगे तो    कोनहों -कोनहों मन अपन जोड़ी -संगवारी ला चीन-देस के आनीबानी के नुन्छुर्रा चीजबस के भोग लगाथें. ये भोग दीखे में गेंगरवा साहीं दिखथे .पताल के लाल लाल झोर डार के येखर रंग ला घला लाल कर डारथें .कोन्हों-कोन्हों भोग अंगाकर रोटी साहीं घला दिखथे फेर अंगाकर जैसे वोमा दम नई रहाय ."वेलेन्टाइन -तिहार" हमर देस मा नवा नवा आये हे.

जुन्ना बिदेसी तिहार मा "अप्रैल फूल के तिहार" हमर देस मा अप्रैल  महिना के पहली तारीख के मनाये जाथे ."   अप्रैल फूल के तिहार" के माई-भुइयां के बारे में कोन्हों बिद्वान मन इंगलैंड बताथे तो कोन्हों मन फ़्रांस देस बताथे .हमला येखर  माई  -भुइयां से का लेने देना.बिदेसी तिहार हे तो सगा बरोबर मन सम्मान तो मिलबे करही .   ये तिहार मा लोगन मन ला बुद्धू बनाये जाथ.पहिली के जमाना मा मोबाइल-टेलीफोन नई रहिस तब बैरंग लिफाफा मा कोरा कागद भेज के बुद्धू बनाना ,झुठ्हा समाचार दे के हलकान करना,जीयत मनखे के मरे के झुठ्हा खबर दे के परिसान करना ,नौकरी लगे के झुठ्हा खबर देना ,अइसन कई प्रकार के हरकत करके तिहार के मजा लूटे जात रहिस .यहू तिहार  मा पकवान बनाय-खाय के रिवाज नई हे . जुन्ना बिदेसी तिहार होये के कारन अप्रैल फूल के महक साल भर बगरे रहिथे .चपरासी मन बाबू ला,बाबू मन साहेब ला,साहेब मन बड़े साहेब ला ,बड़े साहेब मन, अउ बड़े साहेब ला बुद्धू बनावत हे .एखर महक के बिना न भासन लिखे जा सकथे,न पढ़े जा सकथे .कश्मीर ले कन्याकुमारी तक,अटक ले कटक तक अप्रैल फूल के महमही महसूस करे जा सकथे .बुरा लगे के बाद भी बुरा नई मानना,मामूली बात नोहय.  "बुद्धू बनात हे " जान के भी चुप्पेचाप रहिना  सहनसीलता के निसानी आय . अप्रैल फूल के तिहार अपन  दुःख पाके दूसर ला सुख देना के संदेस देथे कि अपन सुख बर दूसर ला दुःख देना के समर्थन करथे , ये रहस्य अभीन  ले सुलझे नई हे .खैर,तिहार ला तिहार के नजर मा देखना चाही तब्भे मजा आही.

मजा लूटना,जिनगी मा आनंद लाना तिहार के खास लच्छन होथे . चार दिन के जिनगी मा कतिक टेंसन पालबो.इही सोच के हम हर दिन तिहार मनाये के बहाना खोजत रहिथन .पाछू हफ्ता मा आस्ट्रेलिया संग किरकेट में जीते के मजा लूटेन,फेर पाकिस्तान संग जीत के मजा ला देवारी अउ होली बरोबर बड़का तिहार  मनायेन .फटाका फूटिन, बैंड-बाजा संग जुलूस निकलिन,मिठाई बाटिन,मिठाई खाइन . अरब २१ करोड़ मनखे ला कोन खुसी दे सकथे ? मनखे ल अपन खुसी के रद्दा ला खुद निकालना पड़थे .  आज अप्रैल फूल हे ,काली किरकेट फायनल के बड़का तिहार रही .फटाका ,मिठाई के जुगाड़ करलव .अपन देस के बड़का जीत बर गाड़ा-गाड़ा भर सुभकामना....

----अरुण कुमार निगम

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