Saturday, July 23, 2011

छत्तीसगढ़ महतारी


-         श्रीमती सपना निगम

जय छत्तीसगढ़ जय जोहार
दाई तहीं मोर जीवन आधार....

तोर धुर्रा –माटी मा सनाएंव
तोर खेत-खार मा खेलेंव-खाएंव
तरिया-नदिया मा तोर नहाएंव
तोर गली-खोर मा मँय इतराएंव.

मोर जिनगी हे तोर उधार
दाई तहीं मोर जीवन आधार....

जंगल तोर गजब गदराये
माटी तोर सोंधी महकाये
डोंगरी-पहाड़ी मा बोले मैंना
कोयली कूके, गीत सुनाये.

लहकय तोर तेंदू अउ चार
दाई तहीं मोर जीवन आधार....

तोर बोली हवे मोर चिन्हारी
तँहीं मोर ननपन के संगवारी
तँहीं मोर मयारू महतारी
तँहीं देस के पालनहारी.

तँय दिल के बड़े उदार
दाई तहीं मोर जीवन आधार....

-श्रीमती सपना निगम
आदित्य नगर , दुर्ग
(छत्तीसगढ़)
{ महतारी = माँ , जोहार = अभिवादन / नमस्कार , दाई = माँ , धुर्रा = धूल ,माटी = मिट्टी , तरिया = तालाब , चिन्हारी = पहचान , मयारू = ममतामयी ,तँहीं = तुम ही ,मोर = मेरा , तोर =तेरा }

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