Monday, November 12, 2012

शुभ देवारी - अरुण कुमार निगम


शुभम करोति कल्याणम आरोग्यगुणम संपदाम

1.
अँधियारी हारय सदा , राज करय उजियार
देवारी  मा तयँ दिया, मया-पिरित के बार ||

2.
नान नान नोनी मनन, तरि नरि नाना गायँ
सुआ-गीत मा नाच के, सबके मन हरसायँ ||


3.
जुगुर-बुगुर दियना जरिस,सुटुर-सुटुर दिन रेंग
जग्गू घर-मा फड़ जमिस, आज जुआ के नेंग ||


अरुण कुमार निगम


(देवारी=दीवाली,तयँ=तुम,पिरित=प्रीत,नान नान=छोटी छोटी,नोनी=लड़कियाँ, “तरि नरि नाना”- छत्तीसगढ़ी के पारम्परिक सुआ गीत की प्रमुख पंक्तियाँ, जुगुर-बुगुर=जगमग जगमग,दियना=दिया/दीपक,जरिस=जले,     सुटुर-सुटुर=जाने की एक अदा,दिन रेंग=चल दिए,फड़ जमिस=जुआ खेलने के लिए बैठक लगना,नेंग=रिवाज)

Wednesday, November 7, 2012

छत्तीसगढ़ राज्योत्सव -


        अरुणकुमार निगम

छत्तीसगढ़  राज्योत्सव , मना  मजे में डूब
करी करीना गडकरी , की  अगवानी खूब
की अगवानी  खूब , जमे  सोनू जी बढ़िया
बम्बइया मिष्ठान्न,चख रहे छत्तीसगढ़िया
सभी  रहें  खुशहाल , रहे  ना कोई अनपढ़
“बोलव ज़िंदाबाद ,राज्य हमर छत्तीसगढ़” ||


अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर,दुर्ग (छत्तीसगढ़)
विजय नगर, जबलपुर (मध्य प्रदेश)

Friday, November 2, 2012

जय छत्तीसगढ़- जय जोहार

श्रीमती सपना निगम

जय छत्तीसगढ़ जय जोहार
दाई तहीं मोर जीवन आधार....

तोर धुर्रा –माटी मा सनाएंव
तोर खेत-खार मा खेलेंव-खाएंव
तरिया-नदिया मा तोर नहाएंव
तोर गली-खोर मा मँय इतराएंव.

मोर जिनगी हे तोर उधार
दाई तहीं मोर जीवन आधार....

जंगल तोर गजब गदराये
माटी तोर सोंधी महकाये
डोंगरी-पहाड़ी मा बोले मैंना
कोयली कूके, गीत सुनाये.

लहकय तोर तेंदू अउ चार
दाई तहीं मोर जीवन आधार....

तोर बोली हवे मोर चिन्हारी
तँहीं मोर ननपन के संगवारी
तँहीं मोर मयारू महतारी
तँहीं देस के पालनहारी.

तँय दिल के बड़े उदार
दाई तहीं मोर जीवन आधार....

-श्रीमती सपना निगम
आदित्य नगर , दुर्ग
(छत्तीसगढ़)
{ महतारी = माँ , जोहार = अभिवादन / नमस्कार , दाई = माँ , धुर्रा = धूल ,माटी = मिट्टी , तरिया = तालाब , चिन्हारी = पहचान , मयारू = ममतामयी ,तँहीं = तुम ही ,मोर = मेरा , तोर =तेरा }

Thursday, November 1, 2012

छत्तीसगढ़ राज्योत्सव 1 नवम्बर पर विशेष................



गीत - हमर मया मा दू आखर हे...............

हमर मया मा दू आखर हे
इही हमर चिन्हारी जी
तुँहर प्रेम के ढ़ाई आखर
ऊपर परिही भारी जी.

हमर मया मा खोट नहीं हे
सोना – चाँदी, नोट नहीं हे
त्याग-तपस्या मूल मंत्र हे
झूठ - लबारी गोठ नहीं हे
अजमा के तुम हमर मया ला
देखव तो संगवारी जी.............................
तुँहर प्रेम के ढ़ाई आखर
ऊपर परिही भारी जी.

तुँहर प्रेम बस सात जनम के
मया जनम-जन्मांतर के
प्रीत किये दु:ख होवे संगी
मया मूल सुख-सागर के
अपना के तुम हमर मया ला
देखव प्रेम-पुजारी जी..............................
तुँहर प्रेम के ढ़ाई आखर
ऊपर परिही भारी जी.


प्रेम के रद्दा ,आग के दरिया
कागद के जीवन डोंगा
मया हे शीतल महानदी कस
पार लगे जीवन डोंगा
हमर मया “मंदिर के ज्योति”
तुँहर प्रेम चिंगारी जी.................
हमर मया मा दू आखर हे
इही हमर चिन्हारी जी

छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया -
छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनायें

अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
विजय नगर, जबलपुर (म.प्र.)

Friday, September 28, 2012

जनकवि स्व.कोदूराम 'दलित' की 45 वीं पुण्यतिथि


 
"कवित्त"

बन  -  मन   आयं    बड़   हितुवा    हमार
बन-मन के बखान ,करे  जाय नहीं भइया .
बन - मा  रहिस  -  चउदा  बछर  राम कभू
मधुबन  -  मा  रहिस   किसन   कन्हइया .
बन  -  मा बसय रिखि मुनि अउ बानप्रस्थ
ज्ञानी  -  ध्यानी   अउ जप-तप के करइया.
बन - मा रहिस   महामुनि  बालमिकि  हर
जग   के    तारक    रमायन   के   रचइया .

बन - मा  केउ  किसिम  अपने-अपन जामे
जम्मो   रुख-रई  मन  होथैं   बड़  काम   के .
सइगोन  ,सरई  , खम्हार कर्रा,साजा,बीजा
खिरसाली , बाँस , सल्हिया चिरई  जाम के .
धौंरा तिलसा ,   सेनहा  ,   भिरहा    बोइर
मकोइया,मूढ़ी,मोदे,कलमीं,गिन्दोल आम के.
औरां , हर्रा, ,बेहरा  , डूमर , चार , तेंदू कुर्रु
कौहां  मौंहा, खैर,गस्ती , बेल , कैथा नाम के .
सुरता भुलावौ झन  परसा, कुसुम  धनबहार
सेम्हर-रियाँ            रोहिना  -  तमाम     के.

बन - मा रहयं ,    किजरयं  ,खायं   अलमस्त
मलागर  ,    मांचाडेवाँ     बिज्जू    बनबिलवा.
कोल्हिया , खेखर्री हुंड़रा  , बरहा ,  बनभैंसा
रेड़वा गवर  ,    ढुलबेंदरा   ,   अउ    भलुवा.
बाराडेरिहा  ,  साम्हर  , चीतर  , चैरेंग रोज
साई कुकरी , हरिन  ,   कोटरी  अउ    लिलवा.
खरहा , मंजूर करसायल  अउ  सिंह   गेंडा  ,
हाथी - हथनिन  ,    सोन  कुकुर  के   पिलवा .

बन के बिरिच्छ  मन,जड़ी - बूटी,कांदा-कुसा
फल - फूल ,लकड़ी  अउ  देयं डारा -पाना जी .
हाड़ा - गोड़ा , माँस -चाम,चरबी,सुरा के बाल
मौहां    मंजूर पाँखी   देय    मनमाना जी .
लासा , कोसा  , मंदरस  ,तेल बर  बीजा देयं
जभे  काम पड़े  ,  तभे   जंगल  में  जाना जी .
बाँस ,ठारा , बांख ,कोयला , मयाल कांदी
खादर , ला -ला के तुम  काम  निपटाना  जी.

                  - स्व.कोदूराम "दलित"

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