Wednesday, January 7, 2015


सिरतोन दाई, मयँ नइ लेवना खायेंव 

मयँ भोला-सिधवा लइका हौं ,नवा-साल बर आयेंव

पहिला नवा-साल हे कहिके
केक, बबा हर लाइस
ये करतूत हे बिट्टू कका के
मोला केक खवाइस

मयँ, ददा तीर गोहरायेंव 
सिरतोन दाई, मयँ नइ लेवना खायेंव

डोकरी-दाई उहाँ रहिस हे
पूछ ले तयँ महतारी
ये चेहरा-आँखी ला पढ़, ये
बोलयँ नहीं लबारी 

कन्झा के केक छरियायेंव
सिरतोन दाई, मयँ नइ लेवना खायेंव

अरुण निगम 

4 comments:

  1. ब्रज - अवधी सरिख छत्तीसगढी बन जातिस सूर - तुलसी सरिख साहित्य हमला रचना हे
    मैथिली ल विद्यापति जइसे अमर बना दिहिस वोही ढंग के भगीरथ प्रयास हमला करना हे ।
    चार - वेद पढ्तेन छ्त्तीसगढी म मोर मन हावय उपनिषद् के घला अनुवाद हमला करना हे
    चाणक्य - विदुर नीति पढतेन छ्त्तीसगढी म छ्त्तीसगढ तिजौरी ल मनी मानिक ले भरना हे ॥

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  2. मार्मिक सृजन गुरुवर

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  3. मार्मिक सृजन गुरुवर

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  4. खूबसूरत पंक्तियाँ

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